


मध्यप्रदेश में हाल ही में नियुक्त किए गए कांस्टेबलों की ट्रेनिंग 1 जुलाई से शुरू हो चुकी है, जो आगामी 9 महीनों तक चलेगी। राज्य के 8 पुलिस ट्रेनिंग सेंटरों में 4,000 से ज्यादा नव नियुक्त कांस्टेबल इस ट्रेनिंग में भाग ले रहे हैं। इस दौरान एडीजी ट्रेनिंग और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजाबाबू सिंह ने सभी प्रशिक्षु जवानों को सुझाव दिया है कि वे रोजाना सोने से पहले रामचरितमानस का पाठ करें।
एडीजी राजाबाबू सिंह ने बताया कि हाल ही में भर्ती हुए कांस्टेबलों की ट्रेनिंग शुरू होते ही कई जवानों ने ट्रेनिंग सेंटर बदलवाने के लिए आवेदन देने शुरू कर दिए हैं। कोई छिंदवाड़ा का रहने वाला पचमढ़ी जाना चाहता है, तो कोई रतलाम या झाबुआ क्षेत्र का अभ्यर्थी उज्जैन सेंटर की मांग कर रहा है।
उन्होंने कहा, अभी जवानों को 9 महीने की ट्रेनिंग करनी है और बाद में उन्हें अपने गृह जिले से बाहर तैनाती भी मिलनी है, लेकिन वे अभी से 'होम सिकनेस' के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
ADG के अनुसार, आज के समय में जब अपराध के नए स्वरूप सामने आ रहे हैं, तब पुलिसकर्मियों को भी हर क्षेत्र में दक्ष होना जरूरी है, और इसके लिए मानसिक और नैतिक मजबूती आवश्यक है, जो रामचरितमानस जैसे ग्रंथों से प्राप्त की जा सकती है।
बीजेपी ने किया समर्थन
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने इस पहल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा भगवान राम का जीवन समाज के हर वर्ग के लिए मार्गदर्शक है, जिसमें अनुशासन, त्याग और कर्तव्यबोध की शिक्षा है।
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने क्या कहा?
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सभी को रामायण का पाठ करना चाहिए और उन्होंने एडीजी राजाबाबू सिंह के सुझाव को भी विधि सम्मत बताया।
केवल रामचरितमानस तक ही सीमित क्यों?
वहीं, जमीयत ए उलेमा-ए-हिंद के मध्यप्रदेश प्रमुख हाजी हारून ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, भगवान राम का जीवन हम भी स्कूलों में पढ़ चुके हैं, उसमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन केवल रामचरितमानस तक ही सीमित क्यों? पुलिस में हर धर्म के जवान हैं, इसलिए कुरान, बाइबिल और अन्य धर्मग्रंथों की शिक्षाएं भी शामिल की जानी चाहिए। सभी धर्मों की अच्छी बातों का पाठ कराया जाना चाहिए।